मानवीय सद्गुणों के पूर्ण विकास, चरित्र-निर्माण एवं राष्ट्र के उत्थान हेतु नारी शिक्षा का महत्व शाश्वत है। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर छात्राओं के सर्वांगीण विकास हेतु आर्य कन्या महाविद्यालय की स्थापना सन् 1959 में की गई। इस महाविद्यालय की विरासत महर्षि दयानंद द्वारा प्रतिपादित आर्य समाज के सिद्धांतों पर निर्मित है जो वैदिक संस्कृति के आलोक में जीवन मूल्यों की शिक्षा छात्राओं को प्रदान करती है। उच्च शिक्षा के मानकों को पूर्ण करने के साथ-साथ महाविद्यालय में शिक्षणेत्तर गतिविधियां यथा-सांस्कृतिक, साहित्यिक, अनुसंधान, संगीत, कला, क्रीड़ा, राष्ट्रीय सेवा योजना आदि में भी महाविद्यालय की सहभागिता सदैव प्रशंसनीय रही है। मांँ सरस्वती के इस पावन मंदिर के परिवार की सदस्या बनकर मैं अति गर्व की अनुभूति कर रही हूँ जिस प्रकार एक-एक पुष्प के योग से एक सुंदर वाटिका का निर्माण होता है उसी प्रकार महाविद्यालय परिवार की प्रबंध समिति, शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों सभी की समर्पण भावना और कर्तव्यनिष्ठा के योग से महाविद्यालय निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उदात्त जीवन-मूल्यों की ज्योति से हम सभी सदैव छात्राओं के जीवन को आलोकित करते रहें। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
बालिकाओं के सर्वांगीण विकास एव उन्नत शिक्षा के अवसर को देखते हुए एक कन्या महाविद्यालय की कमी को वर्षों पहले अनुभव किया गया | उनको प्रोत्साहन करने हेतु नगर के विशिष्ट एव प्रबुद्ध नागरिकों के सहयोग एव प्रयासों का परिणाम सामने आया आर्य कन्या महाविद्यालय के रूप में, जहाँ छात्राओं को स्वस्थ वातावरण में अध्ययन के अवसर प्रदान किये गए |
महाविद्यालय में समय-समय पर खेलकूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
Read Moreविद्यालय में प्रवेश लेने के साथ ही अपेक्षित होता है अध्ययन अध्यापन का वातावरण जिसके लिए अनुशासन के निर्देशों का पालन..
Read Moreपुस्तकालय से पुस्तकें प्राप्त करने के लिए हर छात्रा को पुस्तकालय कार्ड दिये जायेंगे | ये कार्ड पुस्तकालय से निश्चित अवधि..
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